आज है काल भैरव अष्टमी : आज हम आपको काल भैरव की पूरी जानकारी देंगे और आपको बताएंगे की पूजा की क्रियाविधि क्या है क्या-क्या आप कर सकते हैं यह सभी आज हम इस पोस्ट में आपको बताएंगे।
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शिवजी के भैरव रूप की पूजा का है दिन
आज यानी 5 दिसंबर को काल भैरव अष्टमी है। इसे कालाष्टमी भी कहते हैं। इस दिन शिवजी के भैरव रूप की पूजा की जाती है। काल भैरव अष्टमी यानी कालाष्टमी का त्यौहार हर माह की कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
इस दिन कालभैरव की पूजा की जाती है जिन्हें शिवजी का एक अवतार माना जाता है. इसे कालाष्टमी, भैरवाष्टमी आदि नामों से जाना जाता है। आज के दिन मां दुर्गा की पूजा और व्रत का भी विधान माना गया है।
कालाष्टमी व्रत विधि
नारद पुराण के अनुसार कालाष्टमी के दिन कालभैरव और मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। इस रात देवी काली की उपासना करने वालों को अर्ध रात्रि के बाद मां की उसी प्रकार से पूजा करनी चाहिए जिस प्रकार दुर्गा पूजा में सप्तमी तिथि को देवी कालरात्रि की पूजा का विधान है।
इस दिन शक्ति अनुसार रात को माता पार्वती और भगवान शिव की कथा सुन कर जागरण का आयोजन करना चाहिए. आज के दिन व्रती को फलाहार ही करना चाहिए. कालभैरव की सवारी कुत्ता है। अतः इस दिन कुत्ते को भोजन करवाना शुभ माना जाता है।
क्यों रखा जाता है कालाष्टमी का व्रत
कथा के अनुसार एक दिन भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठ होने का विवाद उत्पन्न हुआ. विवाद के समाधान के लिए सभी देवता और मुनि शिव जी के पास पहुंचे.
सभी देवताओं और मुनि की सहमति सेशिव जी को श्रेष्ठ माना गया. परंतु ब्रह्मा जी इससे सहमत नहीं हुए. ब्रह्मा जी, शिव जी का अपमान करने लगे.
अपमान जनक बातें सुनकर शिव जी को क्रोध आ गया जिससे कालभैरव का जन्म हुआ. उसी दिन से कालाष्टमी का पर्व शिव के रुद्र अवतार कालभैरव के जन्म दिन के रूप में मनाया जाने लगा।
कालाष्टमी व्रत फल
कालाष्टमी व्रत बहुत ही फलदायी माना जाता है. इस दिन व्रत रखकर पूरे विधि-विधान से काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के सारे कष्ट मिट जाते हैं काल उससे दूर हो जाता है. इसके अलावा व्यक्ति रोगों से दूर रहता है और उसे हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
इस मंत्र का करें जाप
शिव पुराण में कहा है कि भैरव परमात्मा शंकर के ही रूप हैं इसलिए आज के दिन इस मंत्र का जाप करना फलदायी होता है
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!
भैरव अष्टमी की पौराणिक कथा
एक बार की बात है, ब्रह्मा, विष्णु, महेश इन तीनों में श्रेष्ठता की लड़ाई चली। इस बात पर बहस बढ़ गई तो सभी देवताओं को बुलाकर बैठक की गई। सबसे यही पूछा गया कि श्रेष्ठ कौन है। सभी ने अपने अपने विचार व्यक्त किए और उतर खोजा लेकिन उस बात का समर्थन शिवजी और विष्णु ने तो किया परन्तु ब्रह्माजी ने शिवजी को अपशब्द कह दिए। इस बात पर शिवजी को क्रोध आ गया और शिवजी ने अपना अपमान समझा।
शिवजी ने उस क्रोध में अपने रूप से भैरव को जन्म दिया। इस भैरव अवतार का वाहन काला कुत्ता है। इनके एक हाथ में छड़ी है इस अवतार को महाकालेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए ही इन्हें दंडाधिपति कहा गया है। शिवजी के इस रूप को देख कर सभी देवता घबरा गए। भैरव ने क्रोध में ब्रह्मा जी के पांच मुखों में से एक मुख को काट दिया। तब से ब्रह्मा के पास चार मुख है। इस प्रकार ब्रह्माजी के सर को काटने के कारण भैरव जी पर ब्रह्महत्या का पाप आ गया। ब्रह्माजी ने भैरव बाबा से माफ़ी मांगी तब जाकर शिवजी अपने असली रूप में आए।
भैरव बाबा को उनके पापों के कारण दंड मिला इसीलिए भैरव को कई दिनों तक भिखारी की तरह रहना पड़ा। इस प्रकार कई वर्षो बाद वाराणसी में इनका दंड समाप्त होता हैं। इसका एक नाम दंडपाणी पड़ा था। इस प्रकार भैरव जयंती को पाप का दंड मिलने वाला दिवस भी माना जाता है।
राशि अनुसार मंत्र जाप
मेष राशि के जातक काल भैरव जयंती पर पूजा के समय ‘ॐ भूतभावनाय नमः’ और ‘ॐ महारूपाय नमः’ मंत्र का एक माला जाप कर।
वृषभ राशि के जातक काल भैरव जयंती पर पूजा के समय ‘ॐ सर्वभूतात्मने नमः’ और ‘ॐ वृषरूपाय नमः’ मंत्र का एक माला जाप कर
मिथुन राशि के जातक काल भैरव जयंती पर पूजा के समय ‘ॐ महाकायाय नमः’ और ‘ॐ प्रसादाय नमः’ मंत्र का एक माला जाप करें।
कर्क राशि के जातक काल भैरव जयंती पर पूजा के समय ‘ॐनियमाय नमः’ और ‘ॐ स्वयंभूताय नमः’ मंत्र का एक माला जाप करें।
सिंह राशि के जातक काल भैरव जयंती पर पूजा के समय ‘ॐ योगिने नमः’ और ‘ॐ महाबलाय नमः’ मंत्र का एक माला जाप करें।
कन्या राशि के जातक काल भैरव जयंती पर पूजा के समय ‘ॐ बीजवाहनाय नमः’ और ‘ॐ विश्वरूपाय नमः’ मंत्र का एक माला जाप करें।
तुला राशि के जातक भगवान शिव का आशीर्वाद पाने हेतु पूजा के समय ‘ॐ कपालवते नमः’ और ‘ॐ सर्वकामाय नमः’ मंत्र का एक माला जाप करें।
वृश्चिक राशि के जातक काल भैरव जयंती पर पूजा के समय ‘ॐ कालयोगिने नमः’ और ‘ॐ आदिकराय नमः’ मंत्र का एक माला जाप करें।
धनु राशि के जातक काल भैरव जयंती पर पूजा के समय ‘ॐ भगवते नमः’ और ‘ॐ अभिवाद्याय नमः’ मंत्र का एक माला जाप करें।
मकर राशि के जातक कालाष्टमी पर विधि-विधान से पूजा करें। साथ ही पूजा के समय ‘ॐ श्मशानवासिने नमः’ और ‘ॐ शाश्वताय नमः’ मंत्र का एक माला जाप करें।
कुंभ राशि के जातक काल भैरव जयंती पर पूजा के समय ‘ॐ सर्वकराय नमः’ और ‘ॐ भवाय नमः’ मंत्र का एक माला जाप करें।
मीन राशि के जातक काल भैरव जयंती पर पूजा के समय ‘ॐ सर्वभूतहराय नमः’ और ‘ॐ प्रवृत्तये नमः’ मंत्र का एक माला जाप करें।