अमित शाह: लोकसभा में लाइव कुछ कानून के बारे में बताया है क्या-क्या कानून बनाए गए हैं और क्या सुधार हुआ है वह सभी लाइव बता रहे हैं तो चलिए जानते हैं –
- राजद्रोह की जगह अब देशनोक कानून।
- देश के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह करने पर जेल होगी।
- व्यक्ति विशेष के खिलाफ बोलने पर जेल नहीं होगी।
- आतंकवादियों के जेल से बाहर आने का रास्ता।
- 30 दिन में अगर गुनाह कबूल कर लिया तो सजा कम।
- नाबालिक से बलात्कार पर फांसी होगी।
- अगर कोई शख्स रोड पर एक्सीडेंट करके भाग जाता है और घायल को सड़क पर ही छोड़ देता है तो उसे 10 साल तक की सजा होगी।
- बम धमाके गैस अटैक करने वाले आतंकवादी माने जाएंगे।
- मॉब लिंचिंग पर अब फांसी की सजा होगी।
दोस्तों आपको बता दे कि इन नए अपराध कानून से यह प्रमुख बदलाव किए जाएंगे जो नीचे दिया जा रहा है तो चलिए जानते हैं –
गंभीर अपराध
यहां गंभीर अपराध अपराधों के कुछ पॉइंट्स को देख सकते हैं और क्या सुधार किया गया है क्या नहीं यहां आप देख सकते हैं –
- नाबालिग से रेप के दोषी को उम्रकैद या फांसी होगी।
- पहले रेप की धारा 375, 376 थी, अब धारा 63, 69 होगी।
- हत्या की धारा 302 थी, अब यह 101 होगी।
- गैंगरेप के दोषी को 20 साल तक की सजा या जिंदा रहने तक जेल की सजा होगी।
- मॉब लिंचिंग में फांसी की सजा होगी।
एक्सीडेंट के मामले
एक्सीडेंट के मामलों में क्या क्या सुधार किए गए हैं और क्या नए कानून बनाए गए हैं नीचे आप पढ़ सकते हैं –
- वाहन से किसी के घायल होने पर ड्राइवर अगर पीड़ित को पुलिस स्टेशन या अस्पताल ले जाता है तो उसे कम सजा दी जाएगी।
- हिट एंड रन केस में 10 साल की सजा मिलेगी।
- स्नैचिंग के लिए कानून नहीं है, अब कानून बन गया है।
- सिर पर लाठी मारने वाले पर अभी सामान्य झगड़े की धारा लगती है। अब विक्टिम के ब्रेन डेड की स्थिति में दोषी को 10 साल की सजा मिलेगी।
ट्रायल के मामले
यहां आप ट्रायल के मामलों के कुछ पॉइंट्स को भी पढ़ सकते हैं –
- किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने पर पुलिस को उसके परिवार को जानकारी देनी होगी। पहले यह जरूरी नहीं था।
- किसी भी केस में 90 दिनों में क्या हुआ, इसकी जानकारी पुलिस विक्टिम को देगी।
- अगर आरोपी 90 दिनों के भीतर कोर्ट के सामने पेश नहीं होता है तो उसकी गैरमौजूदगी में भी ट्रायल होगा।
- गंभीर मामलों में आधी सजा काटने के बाद रिहाई मिल सकती है।
- अब ट्रायल कोर्ट को फैसला अधिकतम 3 साल में देना होगा।
- मुकदमा समाप्त होने के बाद जज को 43 दिन में फैसला देना होगा।
- फैसले के 7 दिन के भीतर सजा सुनानी होगी।
- दया की याचिका दोषी ही कर सकता है। अभी NGO या कोई संस्थान दया याचिकाएं दाखिल करता था।
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