Isro Xposat Satellite: आपको बता दें कि नए साल के पहले दिन, 1 जनवरी 2024 को इसरो नया इतिहास रच दिया है। आज सुबह 9 बजकर 10 मिनट पर इसरो PSLV-C58/XPoSat को लॉन्च कर दिया, जिससे अंतरिक्ष और ब्लैक होल के रहस्य का पता लगाया जा सकेगा।
इस मिशन के बारे में, इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर ने बताया, “वर्कहॉर्स, PSLV का 60वां प्रक्षेपण इस दिन (1 जनवरी, 2024) को होगा। इसके अधिकांश मिशन सफलतापूर्वक पूरे हो चुके हैं, यह रॉकेट प्रणाली वैश्विक परिदृश्य में सबसे विश्वसनीय और लागत प्रभावी में से एक के रूप में विकसित हुई है। इसके ट्रैक रिकॉर्ड से पता चलता है कि सफलता दर 95% से अधिक है।
अक्टूबर में गगनयान परीक्षण यान ‘डी1 मिशन’ की सफलता के बाद यह प्रक्षेपण किया जा रहा है. इस मिशन का जीवनकाल करीब 5 साल का होगा. ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी)-सी58 रॉकेट अपने 60वें अभियान पर प्रमुख पेलोड ‘एक्सपोसैट’ और 10 अन्य उपग्रह लेकर जाएगा जिन्हें पृथ्वी की निचली कक्षाओं में स्थापित किया जाएगा.
2024 lifted off majestically. 📸
— ISRO (@isro) January 1, 2024
XPoSat health is normal.
Power generation has commenced. pic.twitter.com/v9ut0hh2ib
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उन्होंने बताया कि जहां तक प्रक्षेपण प्रणालियों का सवाल है, यह वैश्विक मानक से अधिक है। यह प्रक्षेपण एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक मिशन है जिसमें आकाशगंगाओं, ब्लैक होल, मरते सितारों से जुड़ी मूलभूत घटनाओं को देखने के लिए एक अवलोकन प्रणाली होगी। यह ब्रह्मांड की उत्पत्ति पर प्रकाश डालेगा। इसके अतिरिक्त क्षमता का उपयोग कई छोटे उपग्रहों को ले जाने के लिए किया जा रहा है। इस अवसर पर, मैं ध्रुवीय सैट प्रक्षेपण यान के प्रक्षेपण के साथ इसरो के लिए एक शानदार वर्ष की कामना करता हूं।
रहस्यमयी दुनिया से उठेगा पर्दा
चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर पूर्व में स्थित अंतरिक्ष केंद्र से नए साल के पहले दिन सुबह नौ बजकर 10 मिनट पर होने वाले प्रक्षेपण के लिए 25 घंटे की उलटी गिनती रविवार (31 दिसंबर) को शुरू हो गई. इसरो सूत्रों ने कहा, ”पीएसएलवी-सी58 के लिए आज सुबह आठ बजकर 10 मिनट पर उलटी गिनती शुरू हुई.”
पांच वर्ष है इस मिशन का जीवनकाल
जानकारी के मुताबिक इस मिशन का जीवनकाल करीब पांच वर्ष का होगा। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV)-सी58 रॉकेट अपने 60वें अभियान पर प्रमुख पेलोड ‘XPoSAT’ और 10 अन्य उपग्रह लेकर जाएगा जिन्हें पृथ्वी की निचली कक्षाओं में स्थापित किया जाएगा।