Bajrang Punia: ‘पद्मश्री’ पुरस्कार लौटाएंगे बजरंग पूनिया, पीएम मोदी के नाम पत्र लिखा और किया ऐलान, जाने पूरा मामला!

Bajrang Punia, Padma Shri Award: ओलंपिक मेडलिस्ट बजरंग पूनिया ने अपनी मांगे न सुने जाने के कारण भारत के बड़े सम्मानों में से एक ‘पद्मश्री’ पुरस्कार लौटाने का ऐलान किया है।

Bajrang Punia To PM Modi: भारतीय पहलवान और ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया ने पीएम मोदी को एक लंबा चौड़ा पत्र लिखा है इस पत्र में उन्होंने अपनी मांग न सुनी जाने के कारण पद्मश्री पुरस्कार लौटने की बात कही है।

आपको बता दे कि इस साल की शुरुआत से ही भारतीय पहलवानों का एक तब का भारतीय कुश्ती महासंघ में ब्रिज भूषण शरण सिंह का काला सच सबके सामने लाने का ठाना है। 

आख़िर क्या है मामला?

दर्शन आपको बता दें कि बृजभूषण पर महिला पहलवानों का यौन शोषण करने का भी आरोप है आपको यह भी बता दे की बृजभूषण शरण सिंह बीजेपी सांसद है और लंबे समय से भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भी रहें है।

दर्शन पहलवानों के लंबे आंदोलन के बाद बृजभूषण शरण सिंह को हाल ही में अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा था लेकिन जो नए अध्यक्ष बनाए गए हैं वह भी बृजभूषण के चट्टे बट्टे हैं।

ऐसे में देखा जाए तो पहलवानों का पिछले 11 महीने से चल रहा आंदोलन पूरी तरह बेसर होता नजर आ रहा है। यही कारण है कि बजरंग पूनिया ने अपना पदक लौटाने का ऐलान किया है।

आंदोलन की पूरी तरह बेमतलब रह जाने के बाद और केंद्र सरकार द्वारा महिला पहलवानों की शिकायतों पर ध्यान नहीं देने की बाद बीते कुछ दिन भारत की ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने भी कुश्ती छोड़ने का ऐलान किया था आपको बता दें कि इस आंदोलन के नेतृत्व में बजरंग पुनिया साक्षी मलिक और विनेश फोगाट कर रहे हैं।

बजरंग पूनिया ने पत्र में क्या-क्या लिखा?


बजरंग पूनिया ने पीएम मोदी के नाम पत्र में लिखा है, 

‘आपको पता होगा कि इसी साल जनवरी महीने में देश की महिला पहलवानों ने कुश्ती संघ पर काबिज बृजभूषण सिंह पर सेक्सुएल हरासमैंट के गंभीर आरोप लगाए थे, जब उन महिला पहलवानों ने अपना आंदोलन शुरू किया तो मैं भी उसमें शामिल हो गया था. आंदोलित पहलवान जनवरी में अपने घर लौट गए, जब उन्हें सरकार ने ठोस कार्रवाई की बात कही. लेकिन तीन महीने बीत जाने के बाद भी जब बृजभूषण पर एफआईआर तक नहीं की तब हम पहलवानों ने अप्रैल महीने में दोबारा सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया ताकि दिल्ली पुलिस कम से कम बृजभूषण सिंह पर एफआईआर दर्ज करे, लेकिन फिर भी बात नहीं बनी तो हमें कोर्ट में जाकर एफआईआर दर्ज करवानी पड़ी.’

‘हमें खदेड़ा, प्रदर्शन पर रोक लगा दी’

पूनिया लिखते हैं, ‘जनवरी में शिकायतकर्ता महिला पहलवानों की गिनती 19 थी जो अप्रैल तक आते आते 7 रह गई थी, यानी इन तीन महीनों में अपनी ताकत के दम पर बृजभूषण सिंह ने 12 महिला पहलवानों को अपने न्याय की लड़ाई में पीछे हटा दिया था. आंदोलन 40 दिन चला. इन 40 दिनों में एक महिला पहलवान और पीछे हट गईं. हम सबपर बहुत दबाव आ रहा था. हमारे प्रदर्शन स्थल को तहस नहस कर दिया गया और हमें दिल्ली से बाहर खदेड़ दिया गया और हमारे प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी.’

‘हमने सोचा मेडल गंगा में बहा दें’

पूनिया ने आगे लिखा, ‘जब ऐसा हुआ तो हमें कुछ समझ नहीं आया कि हम क्या करें. इसलिए हमने अपने मेडल गंगा में बहाने की सोची. जब हम वहां गए तो हमारे कोच साहिबान और किसानों ने हमें ऐसा नहीं करने दिया. उसी समय आपके एक जिम्मेदार मंत्री का फोन आया और हमें कहा गया कि हम वापस आ जाएं, हमारे साथ न्याय होगा। इसी बीच हमारे गृहमंत्री जी से भी हमारी मुलाकात हुई, जिसमें उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि वे महिला पहलवानों के लिए न्याय में उनका साथ देंगे और कुश्ती फेडरेशन से बृजभूषण, उसके परिवार और उसके गुर्गों को बाहर करेंगे. हमने उनकी बात मानकर सड़कों से अपना आंदोलन समाप्त कर दिया, क्योंकि कुश्ती संघ का हल सरकार कर देगी और न्याय की लड़ाई न्यायालय में लड़ी जाएगी, ये दो बातें हमें तर्कसंगत लगी. लेकिन बीती 21 दिसंबर को हुए कुश्ती संघ के चुनाव में बृजभूषण एक बार दोबारा काबिज हो गया है. उसने स्टेटमैंट दी कि “दबदबा है और दबदबा रहेगा.”

‘यौन शोषण का आरोपी दबदबे की बात कर रहा’

पूनिया ने लिखा, ‘महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोपी सरेआम दोबारा कुश्ती का प्रबंधन करने वाली इकाई पर अपना दबदबा होने का दावा कर रहा था. इसी मानसिक दबाव में आकर ओलंपिक पदक विजेता एकमात्र महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास ले लिया. हम सभी की रात रोते हुए निकली. समझ नहीं आ रहा था कि कहां जाएं, क्या करें और कैसे जीएं. इतना मान-सम्मान दिया सरकार ने, लोगों ने. क्या इसी सम्मान के बोझ तले दबकर घुटता रहूं.’

‘अपना पद्मश्री लौटा रहा हूं’

पूनिया ने लिखा है, ‘साल 2019 में मुझे पद्मश्री से नवाजा गया. खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया. जब ये सम्मान मिले तो मैं बहुत खुश हुआ। लगा था कि जीवन सफल हो गया. लेकिन आज उससे कहीं  ज्यादा दुखी हूं और ये सम्मान मुझे कचोट रहे हैं. कारण सिर्फ एक ही है, जिस कुश्ती के लिए ये सम्मान मिले उसमें हमारी साथी महिला पहलवानों को अपनी सुरक्षा के लिए कुश्ती तक छोड़नी पड़ रही है।

खेल हमारी महिला खिलाड़ियों के जीवन में जबरदस्त बदलाव लेकर आए थे. पहले देहात में यह कल्पना नहीं कर सकता था कि देहाती मैदानों में लड़के-लड़कियां एक साथ खेलते दिखेंगे. लेकिन पहली पीढी की महिला खिलाड़ियों की हिम्मत के कारण ऐसा हो सका. हर गांव में आपको लड़कियां खेलती दिख जाएंगी और वे खेलने के लिए देश विदेश तक जा रही हैं लेकिन जिनका दबदबा कायम हुआ है या रहेगा, उनकी परछाई तक महिला खिलाड़ियों को डराती है और अब तो वे पूरी तरह दोबारा काबिज हो गए हैं, उनके गले में फूल-मालाओं वाली फोटो आप तक पहुंची होगी।

जिन बेटियों को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की ब्रांड अंबेसडर बनना था उनको इस हाल में पहुंचा दिया गया कि उनको अपने खेल से ही पीछे हटना पड़ा. हम “सम्मानित” पहलवान कुछ नहीं कर सके. महिला पहलवानों को अपमानित किए जाने के बाद मैं “सम्मानित” बनकर अपनी जिंदगी नहीं जी पाउंगा. ऐसी जिंदगी कचोटेगी ताउम्र मुझे. इसलिए ये “सम्मान” मैं आपको लौटा रहा हूं.’

यहां मैं उनके ऑफिशल X पोस्ट को एंबेड किया हुआ है यहां पर क्लिक करके आप अपने X ऐप में इस पोस्ट को पढ़ सकते हैं।

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