संतान प्राप्ति के लिए करे ये उपाए जल्द भरेगी आपकी गोद

बच्चे हर परिवार की धड़कन होते है बच्चो के होने से घर में रौनक रहती है. परिवार के साथ साथ बच्चे एक ऐसा जरिया होते है तो पति पत्नी के प्यार को और मजबूत करते है|

और सबसे बड़ी बात माँ बनना एक औरत के लिए बहुत गर्व और बहुत खुशी की बात होती है क्युकी एक बच्चे के उसके जीवन में आने से use एक नए दुनिया मिलते है और जीने का नया कारन मिलता है.

परन्तु कुछ महिलाये होती है जो इतनी खुशनसीब नहीं होती है और उसने संतान सुख की प्राप्ति नई हो पाति है जिसके कारन उनके पास सब कुछ होकर भी वो जीवन भर खुद को अधूरा ही महसूस करती रहती है ।

पर चिंता मत करिये आगे आप सब कुछ उपाय कर चुके है फिर भी संतान प्राप्ति नहीं हो रही है तो आप आजम के देखिये ये कुछ उपाय जिससे जल्द ही आपको संतान की प्राप्ति हो जाएगी

1. जिन स्त्रियों के कोई संतान नहीं, वे रोज गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करें ।

2. भगवान् गणेश की छोटी मूर्ति लाएं। उसे मंदिर में स्थापित करें और रोज एक लड्डू चढ़ाकर उस प्रसाद के दाने चिडि़यों को डालें ।

3. प्रत्येक रविवार भगवान को दही अथवा मक्खन का भो लगाएं और फिर धूप आदि के बाद उसे स्वयं ग्रहण करें। ऐसा रोज करने से संतान बाधा दूर होगी ।

4. पति-पत्नि दोनों लड्डू गोपाल की मूर्ति लाएं। उसे पालने में रखे और नए वस्त्रादि धारण कर, धूपादि अर्पित करके एक ऋतु फल और अंजीर तथा दही का भोग लगाएं। उस दिन उपवास करें। इसके पश्चात् प्रतिदिन इस प्रकार का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करके ही भोजन करें । जन्माष्टमी के दिन से यह उपाय आरंभ करें ।

5. रविपुष्प के दिन एक संतान गोपाल यंत्र पूजा स्थान में लाल कपड़े पर स्थापित करें और गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करें। संतानकष्ट दूर होगा ।

6. जिन महिलाओं की संतान गर्भ में ही समाप्त हो जाती है वं मंगलवार को इक्कीस पान के पते लाएं। उन पर सिंदूर से राम लिखें फिर उन्हें हनुमान मंदिर ले जाएं और लाल कपड़े मं बांध लें और या तो बहते पानी में प्रवाहित करें अथवा पीपल के वृक्ष में चढा दें। आपका काम पूर्ण होगा ।

7. संतानहीन स्त्री अपने घर के अथवा पड़ोस के बच्चे जिसकी उम्र दो से तीन साल के बीच है उसके साथ भोजन करें । हो सके तो उसका झूठा भोजन खाएं ।

8. जिन विवाहित स्त्री-पुरुषो के कोई संतान नहीं है वे किसी शुक्ल पक्ष के गुरुवार को एक पीतल की भगवान् लड्डू गोपाल की मूर्ति लाएं और रोज उस मूर्ति की उसी प्रकार से पालन व सेवा करें जैसे माता-पिता अपनी संतान की सेवा करते हैं। बाल्य अवस्था में रोज उस मूर्ति को थाली के बीचो बीच रखकर स्नान कराएं, वस्त्र पहनाएं और भोग लगाकर फिर आप भोजन करें । जल्दी ही आपकी गोद भरेगी

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