राहुल गांधी छत्तीसगढ़ के ओबीसी और आदिवासी वोटरों का भरोसा फिर हासिल कर पाएंगे?

इस बात में कोई संशय नहीं है कि कांग्रेस की राजनीति में ओबीसी यानी अन्य पिछड़ा वर्ग और जाति जनगणना, एक स्थाई महत्व का मुद्दा बन चुका है. ऐसे में यह अनायास नहीं कि अपनी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में छत्तीसगढ़ के रेंगालपाली पहुंचे राहुल गांधी का भाषण का एक बड़ा हिस्सा भी ओबीसी पर ही केंद्रित रहा.

अब दो दिनों के अवकाश के बाद, रविवार से राहुल गांधी की यात्रा रायगढ़ से शुरू हुई. यह बुधवार तक छत्तीसगढ़ के अलग-अलग इलाकों से होकर गुज़रेगी. इनमें सक्ति, कोरबा, सूरजपुर, सरगुजा और बलरामपुर-रामानुजगंज ज़िले शामिल हैं. इसमें एक बड़ा हिस्सा आदिवासी बहुल है.

इस बीच उन्होंने सोमवार रात हसदेव के आंदोलनकारियों से मुलाक़ात की.

सोमवार से राहुल गांधी की यात्रा जिन दो लोकसभा इलाकों, कोरबा और सरगुजा से गुजर रही है, हाल ही में हुए संपन्न विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इन दो इलाकों की 16 में से 15 विधानसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था.

माना जा रहा है कि राहुल गांधी और कांग्रेस, इस यात्रा के बहाने छत्तीसगढ़ में एक बार फिर से ओबीसी और आदिवासी वोटरों को साधने की कोशिश करेंगे.

इसकी झलक रायगढ़ की रेंगालपाली की सभा में राहुल गांधी के भाषण में भी मिली, जिसमें उन्होंने कहा कि देश में 50 फीसदी लोग ओबीसी और 23 फीसदी लोग दलित आदिवासी हैं. इसके बाद भी उन्हें उनका हक नहीं मिल रहा है. फिर भी ये लोग न तो ब्यूरोक्रेट हैं और न ही इनके हाथ में कोई अधिकार है, ऐसे में भारत कैसे जुड़ सकता है. दो सौ कॉर्पोरेट में से टॉप मैनेजमेंट में न एक ओबीसी है, न दलित है और न ही आदिवासी.

जाति जनगणना को सामाजिक न्याय का पहला क़दम बताते हुए राहुल गांधी ने कहा, “इस देश में अलग-अलग हज़ारों जात हैं और हम जानना चाहते हैं, कौन-सी जात के कितने लोग हैं. इसलिए जाति जनगणना करनी है.”

राहुल गांधी ने साफ़ कहा कि कांग्रेस पार्टी जाति जनगणना के मुद्दे को छोड़ने वाली नहीं है. उन्होंने कहा कि ओबीसी, दलितों, पिछड़ों को हक़ नहीं मिल रहा है. राहुल गांधी ने कहा, “इस बात को हम स्वीकार नहीं करेंगे. ये मैसेज भारत जोड़ो यात्रा का है. इसमें न्याय हमने इसलिए जोड़ा है.”

लेकिन इन भाषणों से इतर, एक तथ्य ये भी है कि ओबीसी और आदिवासी मुद्दों की राह, कांग्रेस पार्टी के लिए बहुत आसान नहीं है. विधानसभा चुनाव में, ओबीसी और आदिवासी बहुल इलाकों में तो कांग्रेस को बहुत बुरी पराजय का सामना करना पड़ा है.

छत्तीसगढ़ की ओबीसी जातियां

क्वांटिफायबल डाटा आयोग द्वारा एकत्र छत्तीसगढ़ की कुल 1,25,07,169 ओबीसी आबादी के जो आंकड़े बीबीसी के पास उपलब्ध हैं, उसके अनुसार राज्य की सबसे बड़ी ओबीसी जाति साहू है, जिसकी संख्या 30,05,661 है.

इसी तरह दूसरे क्रम में यादव जाति समूह की संख्या 22,67,500, तीसरे क्रम में निषाद समाज की संख्या 11,91,818, चौथे क्रम में कुशवाहा समाज की संख्या 8,98,628 और पांचवें क्रम में कुर्मी जाति की संख्या 8,37,225 है.

लेकिन इन आंकड़ों से इतर छत्तीसगढ़ की राजनीति में ओबीसी जाति की बात हो तो हमेशा से साहू और कुर्मी जाति का वर्चस्व बना रहा है. यादव जाति को भी कहीं-कहीं प्रतिनिधित्व मिलता है लेकिन निषाद और कुशवाहा जाति लगभग हाशिए पर रही है.

राजेश जोशी कहते हैं, “राहुल गांधी एक तरफ़ जाति जनगणना की बात करते हैं और दूसरी तरफ़ उनकी कांग्रेस पार्टी की सरकार ने ही जो हेड काउंट कराया, उस क्वांटिफायबल डाटा आयोग के आंकड़े कभी सार्वजनिक ही नहीं किए. इन विरोधाभासी तथ्यों का जवाब राहुल गांधी को देना चाहिए.”

लेकिन मसला केवल ओबीसी जातियों के आंकड़ों का ही नहीं है.

राहुल गांधी की यात्रा जिस इलाके से गुज़रने वाली है, उस इलाके के आदिवासियों से जुड़े सबसे बड़े सवाल पर भी राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी का रुख, सवालों के घेरे में है.

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